यह जगह अंग्रेज़ लाट साहेब के तनाव को कम करने के लिए चुना गया एक गंतव्य स्थान था। आज भी उस लाट बंगले के अवशेष मौजूद हैं। यह जगह नेतरहट जिले से 61 किलोमीटर की दूरी पर है तथा महुआडाड़ के ओरसापट से १४ किलोमीटर उत्तर पश्चिम की ओर है। लातेहार जिले के इस झरने को झारखंड के सबसे ऊंचे झरने के रूप मे दावा किया जाता है।स्थानीय स्तर पर कहा जाता है कि यहाँ बुड़ा नदी का पानी ४६८ फीट कि ऊंचाई से सुंदर मनोरम दृश्य बनाता है। यह गरजनों के साथ पहाड़ियों के दो ओरों से गिरता हुआ पृथ्वी के हृदय मे समा जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्थानीय ग्रामीणों नें एक बार इसकी गहराई मापने के लिए सात खटिया के बुनने के बराबर लंबी रस्सी के एक छोर पर पत्थर बांध कर इसकी गहराई को मापने की कोशिश की थी......... लेकिन अफसोस! वह पत्थर गहरी रसातल मे गायब हो गया और उस दिन के लिए यह गहराई एक अथाह बन गयी। अब इस जगह को चितिदाह कहा जाता है। यहाँ पानी की गर्जन की ध्वनि जंगली पहाड़ी इलाकों में १० किलोमीटर दुर तक सुनाई देती है। बाद मे बूढ़ा नदी मे जंगलों पहाड़ों से उभरते स्थानीय नाले जुड़ जाते है।
It was once a chosen destination for the British Laat Sahebs to unwind. The remains of Laat Bangla exists to this day. The site about 61 kms away from Netarhat and 14 kms north West of Mahuadand near Orsapat, in latehar district proudly claims to have the highest waterfalls in Jharkahand. Here the water of the River Burha, as it is locally called makes a spectacular leap from a height of about 468 feet. It falls from two sides of the hills, thundering its way deep into the bosom of the earth. A legend runs that the local villagers once tried to measure its depth by immersing boulders tied to long ropes, the span being equivalent to that used in the making of seven Khatias, (coir costs)… But alas! The boulder disappeared deep down in the abyss… and even to this day the depth is unfathomed. The place is called Chitidah. The roaring sound of the water falls amidst rocky terrains and hills, inside the forests, can be heard even from a distance of 10 kms away. River Burha is later joined by a number of wild rivulets emerging from the local hills around.